वो एक दूसरे के करीब, बढ़े शौक से आते हैं फिर जब दिल भर जाता है, तो एक दूसरे का दिल जलाते हैं
कुछ अपनों के लिए लड़ रहे हैं, कुछ अपने मजहब के लिए लड़ रहे हैं… बस फर्क इतना सा है, के सब एक ही हाथ की, अलग उंगलियां पकड़ रहे हैं…
मैं फिर भी आगे बढ़ूंगा, मेरी जिंदगी अगर अपना हाथ नहीं देगी… मगर ये तुम भी याद रखना, तुम्हारी जिंदगी भी हमेशा तुम्हारा साथ नहीं देगी…