इस जमाने से अनबन है मेरी, बस तुम्हारे पास होने का मैं अहसास चाहता हूँ… तुम्हारी मुस्कुराहटें भी उनमें से एक हैं, मैं जिसे हमेशा बरकरार रखना चाहता हूँ…

भीड़ में भी मैं तुम्हें पहचान लेता हूँ धड़कने शोर करती हैं, मैं जब तुम्हारा नाम लेता हूँ

आँखें खुली हों या बंद हो, बस तुम्हारे ही ख्वाब आते हैं मुझे यही वजह है, जो मेरी साँसे तुम्हारी साँसों से जुड़ना चाहती हैं

ख्वाबों की मिनारें नहीं हैं मेरे पास, बस कुछ ही ख्वाब हैं, जिन्हें मैं सजाना चाहता हूँ… मैं अपने गमों को अपने पास ही रखता हूँ, पर अपनी खुशियाँ तुम्हारे साथ बांटना चाहता हूँ…

मेरे लिए तुम्हारी क्या अहमियत है, ये कई बरसों से मैं बखूबी जानता हूँ… अब तुम्हारे अपने भी सिर्फ तुम्हारे नहीं हैं, मैं भी उन्हें अपना मानता हूँ …

तुमसे जुड़े किसी भी ख्वाब का रुख, मैं नहीं मोडूँगा… बस तुम मेरे साथ चलना, मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा..

अपनी खामोशियों में, मैं बस एक तुम्हारी आवाज सुनता हूँ… मेरी धड़कने भी मेरा साथ देती हैं, मैं जब तुम्हारे लिए अल्फाज चुनता हूँ…